बुधवार, 11 मार्च 2015
AROGYASANJEEVANI: Swine Flu-H1N1 Flu Virus (स्वाइन फ्लू से बचने के आ...
AROGYASANJEEVANI: Swine Flu-H1N1 Flu Virus (स्वाइन फ्लू से बचने के आ...: क्या है स्वाइन फ्लू? स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस A से होने वाला इनफेक्शन है। ...
शनिवार, 29 मार्च 2008
जो मगोगे वही मिलेगा..........३
"एक राजा , एक हजार रानियाँ "
प्रिय मित्रो ,
मेने सुना है , एक सम्राट युद्ध जीत कर घर वापस लौट रहा था । उसकी एक हजार रानियाँ थीं , उसने ख़बर भेजी कि में तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं । किसी ने कहा , हीरों का हार ले आना । किसी ने कहा , उस देश में कस्तूरी - मृग की गंध मिलती है , वह ले आना । किसी ने कहा , वहां के रेशम का कोई जबाव नहीं , तो रेशम की रंग - बिरंगी सारियां ले आना । ऐसे सभी रानियों ने अपनी अपनी अक्ल के हिसाब से जितना कुछ मांग सकतीं थीं वह - वह माँगा । एक रानी ने कहा , कि तुम घर आ जाओ , तुम बहुत हो । उस दिन तक उसने इस रानी पर कोई ध्यान ही नहीं दिया था । हजार रानियों में एक थी , कहीं पड़ी थी रनवास के किसी अंधेरे कोनें में । एक नम्बर मात्र थी , कोई व्यक्ति नहीं थी : लेकिन राजा जब घर लौटा तो उसने उस रानी को पटरानी बना दिया । और रानियों नें कहा , " यह क्या हुआ ? किस कारण ? " राजा ने कहा , " अकेले इसी ने कहा कि तुम घर आ जाओ । और कुछ नहीं चाहिए : तुम आ गए , सब आ गया । इसने मेरा मूल्य स्वीकारा । तुम में किसी नें हीरे मांगे ,किसी ने सारियां , किसी नें इत्र माँगा , और हजार चीजें मांगीं - मेरा उपयोग किया । ठीक है , तुमनें जो माँगा , तुम्हारे लिए ले आया । इसने कुछ भी नहीं माँगा । इसके लिए मैं आया हूँ ।"परमात्मा सिर्फ़ उसके द्वार पर दस्तक देता है जिसनें कुछ भी न माँगा ; जिसने कहा ,ऐसे ही बहुत दिया है , बस मेरा धन्यबाद स्वीकार कर लो ।और अंत में एक शेर के साथ --" कभी उन मद भरी आंखों से पिया था इक जाम ,
आज तक होश नहीं , होश नहीं , होश नहीं । ।"
ढेरों शुभ -कामनाओं , प्यार एवं आशीर्वाद सहित ....................................... तुम्हारा मित्र सत्येन्द्र
प्रिय मित्रो ,
मेने सुना है , एक सम्राट युद्ध जीत कर घर वापस लौट रहा था । उसकी एक हजार रानियाँ थीं , उसने ख़बर भेजी कि में तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं । किसी ने कहा , हीरों का हार ले आना । किसी ने कहा , उस देश में कस्तूरी - मृग की गंध मिलती है , वह ले आना । किसी ने कहा , वहां के रेशम का कोई जबाव नहीं , तो रेशम की रंग - बिरंगी सारियां ले आना । ऐसे सभी रानियों ने अपनी अपनी अक्ल के हिसाब से जितना कुछ मांग सकतीं थीं वह - वह माँगा । एक रानी ने कहा , कि तुम घर आ जाओ , तुम बहुत हो । उस दिन तक उसने इस रानी पर कोई ध्यान ही नहीं दिया था । हजार रानियों में एक थी , कहीं पड़ी थी रनवास के किसी अंधेरे कोनें में । एक नम्बर मात्र थी , कोई व्यक्ति नहीं थी : लेकिन राजा जब घर लौटा तो उसने उस रानी को पटरानी बना दिया । और रानियों नें कहा , " यह क्या हुआ ? किस कारण ? " राजा ने कहा , " अकेले इसी ने कहा कि तुम घर आ जाओ । और कुछ नहीं चाहिए : तुम आ गए , सब आ गया । इसने मेरा मूल्य स्वीकारा । तुम में किसी नें हीरे मांगे ,किसी ने सारियां , किसी नें इत्र माँगा , और हजार चीजें मांगीं - मेरा उपयोग किया । ठीक है , तुमनें जो माँगा , तुम्हारे लिए ले आया । इसने कुछ भी नहीं माँगा । इसके लिए मैं आया हूँ ।"परमात्मा सिर्फ़ उसके द्वार पर दस्तक देता है जिसनें कुछ भी न माँगा ; जिसने कहा ,ऐसे ही बहुत दिया है , बस मेरा धन्यबाद स्वीकार कर लो ।और अंत में एक शेर के साथ --" कभी उन मद भरी आंखों से पिया था इक जाम ,
आज तक होश नहीं , होश नहीं , होश नहीं । ।"
ढेरों शुभ -कामनाओं , प्यार एवं आशीर्वाद सहित ....................................... तुम्हारा मित्र सत्येन्द्र
शनिवार, 22 मार्च 2008
शुभ होली
कुछ श्रद्धा , कुछ दुष्टता ,कुछ संशय ,कुछ ज्ञान ।घर का रहा न घाट का , ज्यों धोबी का स्वानअज्ञान का अर्थ ज्ञान का अभाव नही है- जैसी कि अज्ञान की हम आम राय में शाब्दिक परिभाषा करते हैअधूरे ज्ञान को पूर्ण ज्ञान मान लेना ही अज्ञान है । मेरे प्रिय मित्रो ,शुभ चिन्तको , मेरे नौजवान साथियों मेरे बुजुर्ग मित्रो , थोड़ी दृष्टि विस्तार करो तो तुम्हें भी यह साफ साफ दिखने लगेगा किआज भारत ही नही सम्पूर्ण विश्व कि मनुष्यता कमोवेश इस प्रकार के अज्ञान से ग्रस्त है । परिणाम सामने हैहमने जो कुछ पाया उसकी हजारों गुनी कीमत चुकाई है। विकास के लिए हमने प्रकृति को विनष्ट किया , प्रति स्पर्धा में हमने प्रेम गवा दिया । बुद्धि के बदले ह्रदय और स्वहित के बदले हमने सुब कुछ खो डाला । आज प्रेम एवं समर्पण के पावन त्यौहार "होली " का प्रेम मई संदेश आप के चिंतन के लिए -भाव पूर्ण ह्रदय से पेश कर रहा हूँ । निश्चय ही आप के प्रेम रंग में मेरी आत्मा तक सराबोर हो जायेगी । न कुछ हम हंस के सीखे है , न कुछ हम रो के सीखे है । जो कुछ थोड़ा सा सीखे है , किसी के हो के सीखे है । प्रेम मई होली पर रंग - बिरंगी शुभकामनाओं के साथ :- स्वामी सत्येन्द्र माधुर्य ।
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Greeting
Happy Holi

